शरीर ही नहीं, नदियों में भी ‘बुरे’ स्‍तर पर है एंटीबायोटिक की मात्रा

शरीर ही नहीं, नदियों में भी ‘बुरे’ स्‍तर पर है एंटीबायोटिक की मात्रा

सेहतराग टीम

पूरी दुनिया एंटीबायोटिक दवाओं के बेतहाशा इस्‍तेमाल के दुष्‍प्रभावों को झेल रही है। यहां तक कि कई दवाएं इंसानी शरीर पर निष्‍प्रभावी हो चुकी हैं। अब एक नए अध्‍ययन का दावा है कि दुनिया के कई देशों की नदियों में एंटीबायोटिक दवाओं की मात्रा ‘सुरक्षित’ स्तर से 300 गुना ज्यादा बढ़ गई है। टेम्स और दजला जैसी नदियों के अनुसंधान में इसका खुलासा हुआ है।

ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के अनुसंधानकर्ताओं ने सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाली 14 एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर छह महाद्वीपों के 72 देशों की नदियों पर यह अनुसंधान किया।

यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क के अनुंसधानकर्ता जॉन विल्किन्सन ने बताया, ‘अब तक, एंटीबायोटिक दवाओं से संबंधित इस तरह के पर्यावरणीय अनुसंधान यूरोप, उत्तरी अमेरिका और चीन में किए गए। हम वैश्विक स्तर पर इस समस्या के बारे में कम जानकारी रखते हैं।’ 

लंदन की टेम्स नदी और इसकी एक सहायक नदी में अनुसंधान कर्ताओं ने अधिकतम प्रति लीटर 233 नैनोग्राम एंटीबायोटिक की मात्रा देखी, वहीं बांग्लादेश में यह 170 गुना ज्यादा थी। इस अनुसंधान में 711 नदियों और जल निकायों की जांच की गई जिनमें से 307 में ट्राइमिथोप्रीम नाम की एंटीबायोटिक दवा मिली। इसका इस्तेमाल यूरीनरी ट्रैक्‍ट (मूत्रनलिका) के संक्रमण के इलाज में किया जाता है।

टीम का कहना है कि इस मामले में एशिया और अफ्रीका की नदियों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। इनमें भी बांग्लादेश, केन्या, घाना, पाकिस्तान और नाइजीरिया की नदियों में एंटीबायोटिक दवाओं का स्तर सबसे ज्यादा है।

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